Posts

Showing posts from September, 2018
पुरस्कार गुडविन मसीह पोस्टमैन!.....पोस्टमैन ने दरवाजे पर आवाज लगाई। राहुल जब तक दरवाजे पर पहुंचा, पोस्टमैन चिट्ठी डालकर जा चुका था। राहुल ने दरवाजे पर पड़ा लिफाफा उठाया और कमरे में आकर मेज पर रख दिया। उसके बाद वह अपनी पढ़ाई करने लगा। ‘‘किसकी चिट्ठी आई है बेटा....? तेरे पापा की...?’’ राहुल की मम्मी ने रसोई में काम करते हुए पूछा। ‘‘पता नहीं मम्मी, मैंने खोलकर नहीं देखी है।’’ राहुल ने पूर्ववत किताब पढ़ते हुए कहा। ‘‘...तो खोलकर देख लो बेटा।’’ उसकी मम्मी ने पुनः कहा। ‘‘ठीक है मम्मी, देख लेता हूं।’’ मम्मी के कहने पर राहुल ने लिफाफा उठाया और उसमें रखे पत्र को निकालकर पढ़ने लगा।  पत्र में लिखा था। प्रिय राहुल सदैव प्रसन्न रहो! बेटा, तुम तो अपनी आन्टी को भूल चुके होगे पर बेटा तुम्हारी आंटी तुम्हें भुला नहीं पायीं हैं। भुलाती भी कैसे आखिर तुम्हारी बजह से मेरे बेटे दीपू को नया जीवन जो मिला है। बेटा दीपू की जान बचाकर तुमने मुझ पर जो उपकार किया है उसे मैं जीवन पर्यन्त नहीं भूल पाऊंगी। बेटा आज भी मैं उस घटना को याद करके कांप जाती हूं। बेटा, अपने बारे में सभी सोचते हैं लेकिन दूसरों
अनोखा जन्म दिन कहानी-गुडविन मसीह बारिश होने की कल्पना मात्र से ही बरखा का रोम-रोम खुशी से खिल उठता है। मन रोमान्चित हो जाता है, क्योंकि उसे बारिश के पानी में भीगने में बहुत मजा आता है। जब भी बारिश होती है, बरखा उसमें खूब भीगती है। कागज की नाव बनाकर काॅलोनी के बच्चों के साथ खेलती है। इसीलिए उसे जून के महीने का बेसब्री से इन्तजार रहता है, क्योंकि जून में ही मानसून आते हैं और खूब बारिश होती है। उसकी मम्मी उसे बारिश के पानी में भीगने से रोकती भी हैं, तो वह अपने घर के ड्राइंगरूम की खिड़की खोलकर उसके पास बैठ जाती है, जहाँ से उसे बाहर का नजारा बाखूबी दिखाई देता है साथ ही खिड़की से छनकर हवा के झोकों के साथ अन्दर आने वाली बारिश की फुहार उसे रोमान्चित करती है। वह अपने दोनों हाथ खिड़की से बाहर निकाल कर उनमें गिरतीं पानी की बूँदों से तब तक खेलती रहती है, जब तक उसे घर का कोई बड़ा डांटता नहीं। जून का महीना बरखा के लिए बारिश की ही सौगात लेकर नहीं आता है। यह महीना उसके लिए एक और सौगात लेकर आता है और वह है, उसका अपना जन्म दिन। ‘‘जी हाँ’’ दस साल पहले यानि 27 जून को, जिस दिन बरखा का जन्म हुआ था उ