शिक्षा का धन
शिक्षा का धन कहानी: गुडविन मसीह सोनपुर नामक गांव में ननकू नाम का एक निर्धन किसान रहता था। वह बहुत मेहनतकश और परिश्रमी होने के साथ-साथ काफी दयालु और उदार प्रवृत्ति का था। दूसरों के सुख-दुःख में काम आना वह अपना परम कर्तव्य समझता था। इसीलिए गांव का प्रत्येक व्यक्ति उसे जरूरत से ज्यादार मान-सम्मान देता था। ननकू के परिवार में उसकी पत्नी और दो बेटे थे। ननकू की दिली इच्छा थी कि उसके दोनों बेटे भी उसी के नक्शेकदम पर चलें, नेकी और ईमानदारी के रास्ते को अपनाएं। उसी के समान उनके अन्दर भी दूसरों के प्रति आदर और सेवाभाव हो। इसीलिए वह उन्हें हर वक्त यही शिक्षा दिया करता था कि ‘‘बेटा, दूसरों के सुख में ही अपना सुख निहित होता है। मनुष्य को सदैव एक-दूसरे के सुख-दुःख का भागीदार होना चाहिए। जो दूसरों के प्रति स्वयं के समान श्रद्धाभाव रखता और निःस्वार्थभाव से सबके सुख-दुःख में काम आता है, वास्तव में वही सच्चा मनुष्य कहलाने योग्य होता है।’’ ननकू के दोनांे लड़के पढ़े-लिखे जरूर थे लेकिन स्वभाव से वे सर्वथा उससे भिन्न थे। इसीलिए उन पर ननकू की बातों का कोई असर नहीं होता। वे उसकी बातों को और शिक्षाओ